तुझे क़सम है मिरा ए'तिबार रहने दे वफ़ा के नाम से कुछ इख़्तियार रहने दे मक़ाम-ओ-जुब्बा-ओ-दस्तार की नहीं ख़्वाहिश निसार-ए-जाँ हो ये दिल ख़ाकसार रहने दे न जाने कौन सी मंज़िल पे दम निकल जाए दिल-ए-हज़ीं पे मोहब्बत का बार रहने दे वफ़ा के नाम को रुस्वा न कर सके कोई सुरूर-ओ-लज़्ज़त-ए-ग़म हम-कनार रहने दे ये शोख़ियाँ ये तफ़ाख़ुर रिया है सब बे-सूद हयात क्या है फ़क़त मुस्तआ'र रहने दे कहीं तलाश से अपनी न रोक दे मुझ को ये वसवसे ये सवालों का बार रहने दे न नोच कर इसे सीने से फेंक दे अपने किसी की याद का कुछ कुछ ख़ुमार रहने दे गुनाहगार सही है तो बंदा-ए-'सादिक़' ग़रीक़-ए-रहमत-ए-पर्वरदिगार रहने दे