कब हमें ख़ुद पे ए'तिबार आया By Ghazal << दिल को पैहम दर्द से दो-चा... गुज़रे हैं तेरे साथ जो दि... >> कब हमें ख़ुद पे ए'तिबार आया बस तिरे नाम से क़रार आया ज़मज़मा-ख़्वाँ जो तेरे हुस्न का था मुझ को उस पर भी कैसा प्यार आया कैसा ख़ूँ रास्तों में बहता है कैसी बस्ती है क्या दयार आया उस के वा'दे तो सिर्फ़ वा'दे थे फिर भी हर बार ए'तिबार आया Share on: