सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए खुला हुआ है हर इक रास्ता हवा के लिए ये पूछती है हर इक सुब्ह आ के मौज-ए-नसीम कोई पयाम किसी यार-ए-आश्ना के लिए तवाफ़-ए-दैर-ओ-हरम से तो हो चुके फ़ारिग़ चलो ज़ियारत-ए-यारान-ए-बा-सफ़ा के लिए मैं क्यूँ न बा-सर-ए-उर्यां फिरूँ तह-ए-अफ़्लाक कि फ़ख़्र है सर-ए-उर्यां बरहना-पा के लिए ये शहर शहर-ए-बख़ीलाँ है ऐ दिल-ए-बीमार यहाँ तो ज़हर भी मिलता नहीं दवा के लिए शिकार ढूँढ के लाई कहाँ कहाँ कहाँ से हयात दरिन्दा-ए-अजल-ओ-अज़दर-ए-क़ज़ा के लिए अजीब बात कि मंज़िल का जब भी क़स्द हुआ बजाए पाँव के हाथ उठ गए दुआ के लिए सितम-ज़रीफ़ ज़माने ने चुन लिया हम को गिरानी-ए-नफ़स-ओ-गर्मी-ए-नवा के लिए सिवाए कश्ती-ए-लंगर गुसिस्ता क्या होगी ग़रीक़-ए-बहर की सौग़ात ना-ख़ुदा के लिए हमीं में क्यूँ हदफ़-ए-तंज़ ऐ जमाल-ए-बहार सभी ने फूल चुने थे तिरी क़बा के लिए न ज़ाद-ए-राह न रहबर न मेज़बाँ न सराए हम ऐसे बादिया-गर्दान-ए-बे-नवा के लिए जहाँ जहाँ भी हुए पर-कुशा हम अहल-ए-ज़मीं ज़मीं के बोझ ही साबित हुए ख़ला के लिए