मौत ने पर्दा करते करते पर्दा छोड़ दिया मेरे अंदर आज किसी ने जीना छोड़ दिया ख़ौफ़ कि रस्ता भूल गई उम्मीद की उजली धूप उस लड़की ने बालकनी पर आना छोड़ दिया रोज़ शिकायत ले कर तेरी याद आ जाती है जिस का दामन आहिस्ता आहिस्ता छोड़ दिया दुनिया की बे-राह-रवी के अफ़्साने लिखे और अपनी दुनिया-दारी का क़िस्सा छोड़ दिया बस तितली का कच्चा कच्चा रंग आँखों में है ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश ने पीछा छोड़ दिया