सैर-ए-गुलशन से जो फ़ुर्सत हो इधर भी देखो रंग-ए-गुल देख चुके दाग़-ए-जिगर भी देखो मेरी मय्यत पे उसे ख़ाक-बसर भी देखो ज़िंदगी-भर की रियाज़त का समर भी देखो नुक़्ता-ए-हुस्न ब-अंदाज़-ए-दिगर भी देखो इश्क़ का ज़ाविया-ए-हुस्न-ए-नज़र भी देखो एक ही हुस्न के जल्वे नज़र आएँगे तमाम आइना-ख़ाना-ए-दुनिया में जिधर भी देखो हसरत-ओ-यास-ओ-ग़म-ओ-रंज हैं मेहमाँ दिल में कितना आबाद है अल्लाह का घर भी देखो बिखरी सिन्दूर भरी ज़ुल्फ़ों में रू-ए-रौशन सुर्ख़ी-ए-शाम में उनवान-ए-सहर भी देखो मरते मरते न हटे राह-ए-मोहब्बत से क़दम मुझ में सौ ऐब सही एक हुनर भी देखो फ़र्क़ करते नहीं 'शो'ला' ख़ज़फ़-ओ-गौहर में ये सितम-ज़र्फ़ी-ए-अर्बाब-ए-नज़र भी देखो