सज्दा और उन के आस्ताने का हौसला देखिए ज़माने का आज़माएँगे धार ख़ंजर की ये बहाना है ख़ूँ बहाने का दिल-ए-सादा की सादगी देखो ए'तिबार और फिर ज़माने का किस मज़े से क़फ़स में अहल-ए-क़फ़स ज़िक्र सुनते हैं आशियाने का साथ चलना है जब ज़माने के शिकवा क्यूँ कीजिए ज़माने का वो ज़माना अभी नहीं आया ख़्वाब देखा था जिस ज़माने का तुम ख़ुद अहल-ए-नज़र हो ऐ 'सरशार' रंग देखा करो ज़माने का