तेरी रहमत ने कर दिया गुस्ताख़ ''वर्ना पहले तो मैं न था गुस्ताख़ आप जो कुछ कहें सर आँखों पर और मैं ने जो कुछ कहा गुस्ताख़ साफ़-गोई से काम लेता हूँ तुम ने मुझ को समझ लिया गुस्ताख़ काट देते वो क्यूँ न हाथ मिरा उन के दामन पे बढ़ चला गुस्ताख़ खुल गई आँख अब तो ऐ नर्गिस और उन से नज़र मिला गुस्ताख़ मुँह पे कहते उसे नहीं बनता वर्ना 'सरशार' है बड़ा गुस्ताख़