सख़्त वीराँ है जहाँ तेरे बाद कोई तुझ सा है कहाँ तेरे बाद कब तलक आह-ओ-फ़ुग़ाँ तेरे बाद ख़ेमा-ए-दिल है धुआँ तेरे बाद जाने किस शहर में आबाद है तू हम हैं बर्बाद यहाँ तेरे बाद हिजरतें कर गए इम्काँ के तुयूर अब यक़ीं है न गुमाँ तेरे बाद ऐसा आलम भी न देखा था कभी ख़ाली ख़ाली है मकाँ तेरे बाद