सैकड़ों दिल यहाँ कुचलते हुए हम ने देखा है उस को चलते हुए कितनी हसरत से मुझ को तकता है रात भर इक चराग़ जलते हुए बारहा कोशिशों के बाद आँसू गिर पड़ा आँख से सँभलते हुए उस ने नज़रों को मेरी देख लिया अपने रुख़्सार पर टहलते हुए वस्ल के बाद की वो ख़ामोशी सुब्ह को पैरहन बदलते हुए