ख़ुद अपनी ज़ात को मिस्मार करके कहाँ जाऊँ समुंदर पार करके खुली जब आँख कश्ती जा चुकी थी मिला क्या ख़्वाब से बेदार करके तसल्ली भी नहीं देता है कोई मुसीबत से मुझे दो-चार करके मुझे झुकना था आख़िर झुक गया मैं गिरा वो ख़ुद मुझी पे वार करके बहुत दावा था तुझ से दोस्ती का बहुत पछता रहा हूँ प्यार करके नहीं जी पाओगे अब तुम 'तबस्सुम' ख़ुद अपनी ज़ात को बेदार करके