बच्चे की ज़िद को अब तो मिरा ए'तिबार दे ऐ आसमाँ ये चाँद मिरे घर उतार दे चोरी करूँ तो हाथ मिरे काट दे मगर पहले ख़ुदा-ए-वक़्त मुझे रोज़गार दे ठुकरा न दूँ मैं ग़ैर के हाथों मिली शिकस्त मुझ को भी मेरी नस्ल ही मुजरिम क़रार दे यारब जुनून-ए-इश्क़ से महरूम रख मुझे या मेरी वहशतों को नए रेग-ज़ार दे