मिलती रही क़लम को सआ'दत की रौशनी दर आई हर्फ़ हर्फ़ में मिदहत की रौशनी आने से आप के हुईं काफ़ूर ज़ुल्मतें आलम में फैली आप की रहमत की रौशनी ग़ार-ए-हिरा में ले के जो आए थे जिब्रईल सच्चा कलाम नूर-ए-हिदायत की रौशनी ता-हाल हो रही है वो बरसात नूर की लम्हे ने पाई थी जो ज़ियारत की रौशनी ईसार-ओ-दरगुज़र का सबक़ आप ने दिया फैलाई आप ने है उख़ुव्वत की रौशनी औरत को बख़्शी आप ने आ कर हयात-ए-नौ उस को मिली है इज़्ज़त-ओ-अज़्मत की रौशनी सुब्ह-ओ-मसा है 'नाज़' की बस आरज़ू यही मेरी नवाह-ए-जाँ में हो सीरत की रौशनी