सामने से जब गुज़र जाते हैं आप हम पे इक जादू सा कर जाते हैं आप बरहमी से तो निखर जाते हैं आप और भी दिल में उतर जाते हैं आप हम पे जो गुज़रे वो गिनती में नहीं बे-नियाज़ी से गुज़र जाते हैं आप देखिए सुनिए ज़रा रुक जाइए छोड़ कर हम को किधर जाते हैं आप दर्द-ए-दिल का कुछ तो दरमाँ कीजिए दर्द है दिल में मगर जाते हैं आप दिल-नवाज़ी आप की फ़ितरत नहीं किस लिए दिल तोड़ कर जाते हैं आप किस क़दर वीरान है दुनिया-ए-दिल आह इस से बे-ख़बर जाते हैं आप हम भी हैं चश्म-ए-करम के मुंतज़िर क्यों निगाहें फेर कर जाते हैं आप चलते चलते किस पर आ जाता है रहम जाते जाते क्यों ठहर जाते हैं आप लोग जो कहते हैं वो कहते रहें क्यों किसी की बात पर जाते हैं आप इश्क़ तो है रौनक़-ए-बज़्म-ए-हयात इश्क़ से क्यों इतना डर जाते हैं आप ये मुक़द्दर का करम है ऐ 'बहार' चाह से प्यासे अगर जाते हैं आप