सनम का नूर देखा है ख़ुदा के नूर के बदले हुआ है दाग़-ए-दिल रौशन चराग़-ए-तूर के बदले अनल-हक़ के एवज़ लब से अनल-महबूब जारी हो चढ़ाएँ दार पर मुझ को अगर मंसूर के बदले जो देखेंगे तिरे हुस्न-ए-जहाँ-आरा को महशर में ख़ुदा से लोग माँगेंगे तुझी को हूर के बदले पस-ए-मुर्दन अगर यारो मयस्सर हो तो रख देना कफ़न में ख़ाक-ए-कू-ए-दिलरुबा काफ़ूर के बदले ख़ुदाया इश्क़-ए-बुत में इस क़दर सख़्ती उठाई है कि पहलू में है इक पत्थर दिल-ए-रंजूर के बदले