साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया दिल मोम का था फिर भी पिघलने नहीं दिया हाथों की ओट दे के जला लीं हथेलियाँ ऐ शम्अ' तुझ को हम ने मचलने नहीं दिया दुनिया ने बहुत चाहा कि दिल जानवर बने मैं ने ही उस को जिस्म बदलने नहीं दिया ज़िद ये थी वो जलेगा तुम्हारे ही हाथ से उस ज़िद ने एक चराग़ को जलने नहीं दिया चेहरे को आज तक भी तेरा इंतिज़ार है हम ने गुलाल और को मलने नहीं दिया बाहर की ठोकरों से तो बच कर निकल गए पाँव को अपनी मोच ने चलने नहीं दिया