संग हाथों में सनम सीने में है बुत-कदा दिल में हरम सीने में है हाए हाए अपनी नादानी न पूछ ला ज़बाँ पर और निअ'म सीने में है पुश्त की जानिब झुका जाता है दिल साफ़ दिखता है कि ख़म सीने में है सोचती आँखों के रस्ते चारा-गर दर्द उतरा दम-ब-दम सीने में है बर-ज़बाँ दुनिया-ए-दो रंग-ओ-रसद पर मियाँ मुल्क-ए-अदम सीने में है गरचे अच्छा हूँ तो क्यूँ अच्छा हूँ मैं बस यही 'अबरार' ग़म सीने में है