सर पे दस्त-ए-हवा है सदियों से ग़ैब का आसरा है सदियों से सिर्फ़ दो पाँव और वसीअ' ज़मीं ये भी इक मो'जिज़ा है सदियों से है कम-ओ-बेश नीलगूँ हर शय दर्द का सिलसिला है सदियों से जैसे पानी हवा हवा पानी मुझ में तू मुब्तला है सदियों से सुनने वाला हो कोई तो सुन ले इश्क़ नग़्मा-सरा है सदियों से