सराब-ओ-दश्त वही सारबान तीसरा है सफ़र के साथ बँधा इम्तिहान तीसरा है हुज़ूर फ़हम-ओ-फ़रासत से काम लीजिएगा सड़क के मग़रिबी जानिब मकान तीसरा है ये दो जहान से आगे की एक मंज़िल है अता-ए-इश्क़-ए-मोहम्मद जहान तीसरा है अज़ल अबद के निशाँ ज़िंदगी के हामी हैं तबाहियों की इबारत निशान तीसरा है हम इस से पहले भी गुज़रे हैं इम्तिहानों से पड़ाव पहला सही इम्तिहान तीसरा है ये दोनों कान तो दीवार की अमानत हैं जो इंतिहा-ए-यक़ीं है वो कान तीसरा है मैं धूप ओढ़ के निकला तो ये खुला 'फ़ैसल' यक़ीन दूसरा मौसम गुमान तीसरा है