सारे जहाँ को हुस्न का साइल बना दिया जिस दिल को तू ने देख लिया दिल बना दिया शाहान-ए-वक़्त का ये करिश्मा तो देखिए मज़लूम ओ बे-गुनाह को क़ातिल बना दिया इक बेकस-ओ-ग़रीब को कल रात शहर ने पत्थर से मार मार के घाइल बना दिया ये तो अमीर-ए-वक़्त का अदना कमाल है जाहिल को आलिमों के मुक़ाबिल बना दिया कुछ भी अता हो हुस्न का सदक़ा ऐ जान-ए-जाँ 'अंजुम' को तेरे इश्क़ ने साइल बना दिया