सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा मैं ने झेली है ज़माने में ये मुश्किल तन्हा सब ने हंगामा-ए-महफ़िल के मज़े लूटे हैं रह गई शम्अ' बे-चारी सर-ए-महफ़िल तन्हा कब तलक ठीक न होगा ग़म-ए-दौराँ का मिज़ाज हम भी बैठे हैं ज़माने के मुक़ाबिल तन्हा अब किसी रहबर-ए-मंज़िल की तमन्ना भी नहीं मैं अकेला हूँ मुसाफ़िर मिरी मंज़िल तन्हा