सारी रुस्वाई ज़माने की गवारा कर के ज़िंदगी जीते हैं कुछ लोग ख़सारा कर के अपने इस काम पे वो रातों को रोता होगा बेच देता है जो ज़र्रे को सितारा कर के ग़म के मारे हुए हम लोग मगर कॉलेज में दिल बहल जाता है परियों का नज़ारा कर के फिर वही जोश वही जज़्बा अता होता है तुम ने देखा ही नहीं प्यार दोबारा कर के अपने किरदार से दुनिया को हिला कर रख दे वर्ना क्या फ़ाएदा इस तरह गुज़ारा कर के हम से आबाद है ये शेर-ओ-सुख़न की महफ़िल हम तो मर जाएँगे लफ़्ज़ों से किनारा कर के