सवा नेज़े पे आफ़्ताब आया जलती दुनिया को ये जवाब आया मेरा सज्दा या मेरी मंज़िल-ए-शौक़ पूछ तो कौन कामयाब आया लफ़्ज़ के लफ़्ज़ जैसे साए हों कैसे मा'नी का इंक़लाब आया हाए उस एक अब्र की क़िस्मत जिस के साए में आफ़्ताब आया 'मीर' हों या 'ज़हीर' हों कि 'कबीर' सब की क़िस्मत में एक ख़्वाब आया