लपके जुनूँ-शिआ'र यके-बा'द-दीगरे पाया फ़राज़-ए-दार यके-बा'द-दीगरे लब-बस्ता बस्तियों का फिर अंजाम ये हुआ सब का लुटा क़रार यके-बा'द-दीगरे ये क्या कि अहल-ए-दिल ही के हिस्से में आए हैं इल्ज़ाम बे-शुमार यके-बा'द-दीगरे दिल का कमाल है मुतज़लज़ल नहीं हुआ कितने हुए हैं वार यके-बा'द-दीगरे इन मसअलों ने ढंग से जीने कहाँ दिया सर पर रहे सवार यके-बा'द-दीगरे मिटते दिखाई देते हैं अफ़्सोस ऐ 'नईम' अच्छे सभी शिआ'र यके-बा'द-दीगरे