शाम जो देखी रात समझ ली बिना बताए बात समझ ली मैं ने अपनी बात कही थी तुम ने अपनी बात समझ ली हट गया तूफ़ाँ ख़ुद ही पीछे जब अपनी औक़ात समझ ली देखती रह गई आँखें शायद दिल ने दिल की बात समझ ली कट गया ग़म कैसे मत पूछो बस उस की सौग़ात समझ ली हो गया चुप क्यों रोने वाला हिज्र की शायद रात समझ ली जी भर के रोया हूँ 'सरन' जब क्या शय है बरसात समझ ली