आँख में आँसू लबों पर आह दिल में दर्द है तेरे सौदाई की नज़रों में तो दुनिया गर्द है इक झलक देखी थी उस ने उन की औज-ए-चर्ख़ पर रश्क से महताब का चेहरा अभी तक ज़र्द है ख़ुश-नसीबान-ए-रह-ए-उल्फ़त तो मंज़िल पा गए अपने हिस्से में जो आई वो सफ़र की गर्द है मेरी बर्बादी ने उन को और रुस्वा कर दिया अब तो दुनिया कह रही है वो बड़ा बे-दर्द है इब्तिदा-ए-इश्क़ की वो गर्मी-ए-लज़्ज़त कहाँ इक ज़माना हो गया ये आग बिल्कुल सर्द है उस की छोड़ो तुम न भटको मुल्कों मुल्कों प्यार में 'सोज़' तो रुस्वा है दीवाना है कूचा-गर्द है