शब-ए-हिज्राँ को भगाने की दुआ कौनसी है नहीं टलती किसी सूरत ये बला कौनसी है ज़हर देने में झिजक क्यों है तुझे चारागर दूसरी और मिरे दुख की दवा कौनसी है दिल ही दिल में जो हँसा करते हो चुपके चुपके बात मैं भी तो सुनूँ ऐसी भला कौनसी है मेरी आँखों में है साक़ी की जवानी का नशा मुझ से पूछो कि मय-ए-होश-रुबा कौनसी है मैं सज़ा-वार-ए-मोहब्बत हूँ मिटा दे मुझ को कुछ ख़ता तेरी भी निकले तो सज़ा कौनसी है आज-कल मुझ से ख़फ़ा रहते हैं ग़ैरों से ख़ुश मेरे बारे में ख़ुदा जाने हवा कौनसी है 'ख़िज़्र' ने राह बता दी मुझे बुत-ख़ाने की पूछा था मंज़िल-ए-इरफ़ान-ए-ख़ुदा कौनसी है