शब की पलकों पे हूँ ठहरे हुए आँसू की तरह सुब्ह होते ही मैं खो जाऊँगा जुगनू की तरह देख सकता नहीं महसूस तो कर सकता हूँ मुझ में तहलील हुआ है कोई ख़ुशबू की तरह रक़्स करता है मिरे दिल के शबिस्ताँ में कोई और सदा आती है बजते हुए घुंघरू की तरह मेरी ख़ुशबू ही परेशान किए है मुझ को दिल के सहरा में भटकता हूँ मैं आहू की तरह मेरे हालात ही ख़ुद मुझ को बना देते हैं कभी शो'ला कभी शबनम कभी आँसू की तरह ख़ल्वत-ए-शब हो कि जल्वत की हसीं महफ़िल हो हम ने महसूस किया है उसे ख़ुशबू की तरह धूप में आता है जब उस का तसव्वुर 'अफ़ज़ल' मेरे एहसास पे छा जाता है गेसू की तरह