शब ने पैदा की ख़राबी दूर तक गुम है अक्स-ए-आफ़्ताबी दूर तक दिल शफ़क़ का चीर कर देखो ज़रा है लहू मेरा गुलाबी दूर तक ले उड़ी उन को समुंदर की हवा अब कहाँ मुर्ग़ान-ए-आबी दूर तक कब हुआ था जाने किस जा वाक़िआ' हम ने झेली इज़्तिराबी दूर तक दाने दुनके हैं सितारों के एवज़ अर्श ने उल्टी रकाबी दूर तक हम मुअद्दब वो मुजस्सम हैं ख़बर उन की शान-ए-बारयाबी दूर तक