हाथ से हाथ मिला दिल से तबीअ'त न मिली आप के साथ मिरी एक भी आदत न मिली ज़िंदगी वक़्फ़ उसी के लिए कर दी नादाँ एक लम्हा जिसे तेरे लिए फ़ुर्सत न मिली ऐश-ओ-आराम से क्यूँ कर हमें मिलती तस्कीन जब हमें ग़म से ख़ुशी रंज से राहत न मिली उस को इंसान तो कहते हुए शर्म आती है तेरी दरगह से जिसे रत्ती भी ग़ैरत न मिली जूँ ही मैदान में हम तान के सीना निकले कोई आफ़त कोई दुख कोई मुसीबत न मिली लुत्फ़ आता है हमें ज़ुल्म से टक्कर ले कर हश्र बरपा न हुआ हाए क़यामत न मिली कौन घाटे में रहा फ़ैसला दुनिया देगी जिस को दौलत न मिली या जिसे इज़्ज़त न मिली लाख बहुतों की लगी कुछ की लगी दस दस लाख 'शाद' को पूरी किसी शेर की क़ीमत न मिली