हर परी-वश का ए'तिबार करो ज़िंदगी सिर्फ़ इंतिज़ार करो हम से नफ़रत करो कि प्यार करो कोई रिश्ता तो उस्तुवार करो हम हैं लज़्ज़त-कश-ए-गुनाह-ए-वफ़ा दोस्तो हम को संगसार करो ज़िंदगी हो कि मय कि सच्चाई तल्ख़ जो शय हो उस से प्यार करो हर जनम पर ब-याद-ए-सर्व-क़दाँ जाँ सुपुर्द-ए-फ़राज़-ए-दार करो अपने दामन की चंद कलियों से तुम न अंदाज़ा-ए-बहार करो गुल के मानिंद चाक चाक हो दिल इतना शाइस्ता-ए-बहार करो हम-सफ़र जब भी हो निगार-ए-ग़ज़ल रविश-ए-ख़ास इख़्तियार करो