शाख़-ए-बे-नुमू पर भी अक्स-ए-गुल जवाँ रखना आ गया हमें आली दिल को शादमाँ रखना बे-फ़लक ज़मीनों पर रौशनी को तरसोगे सोच के दरीचों में कोई कहकशाँ रखना रह-रव-ए-तमन्ना की दास्ताँ है बस इतनी सुब्ह ओ शाम इक धुन में ख़ुद को नीम-जाँ रखना कार-ओ-बार-ए-दुनिया में अहल-ए-दर्द की दौलत सूद सब लुटा देना पास हर ज़ियाँ रखना उस की याद में हम को रब्त ओ ज़ब्त गिर्या से शब लहू लहू रखनी दिन धुआँ धुआँ रखना इश्क़ ख़ुद सिखाता है सारी हिकमतें 'आली' नक़्द-ए-दिल किसे देना बार-ए-सर कहाँ रखना