शाम-दर-शाम दिल नहीं लगता अब सर-ए-बाम दिल नहीं लगता फिर वही रहगुज़र है यार की ओर फिर वही गाम दिल नहीं लगता काम करते हैं दिल लगाने को हो कोई काम दिल नहीं लगता आज फिर नींद में लिया उस ने यूँ मिरा नाम दिल नहीं लगता नब्ज़ क्या देखता है चारागर मर्ज़ है आम दिल नहीं लगता हाथ मत छोड़ ऐ मिरे हमदम दिल को बस थाम दिल नहीं लगता यूँ निगाहों का दोष है सारा उस पे इल्ज़ाम दिल नहीं लगता