शाम दिल को बुझाए जाती है तेरी बातें सुनाए जाती है ये उदासी भी ख़ूबसूरत है मुझ को रंगीं बनाए जाती है रात की आँख से उसे देखो कैसे मंज़र दिखाए जाती है एक लम्हे की रौशनी मुझ में एक दुनिया बसाए जाती है कितनी गम्भीर है ये तारीकी मेरे अंदर समाए जाती है हिज्र की शब हमारी जानिब क्यूँ देख कर मुस्कुराए जाती है ज़िंदगी बेवफ़ा सही लेकिन साथ फिर भी निभाए जाती है आप ता'बीर जानते होंगे चाँदनी बौखलाए जाती है कोई ख़ुशबू गुरेज़ाँ है मुझ से कोई आहट बुलाए जाती है ज़िंदगी लाडली सी शहज़ादी मेरा आँचल उड़ाए जाती है