शराब पी के भी मस्त-ए-शराब हो न सका तिरा ख़राब-ए-मोहब्बत ख़राब हो न सका इसी पे ख़त्म हैं नाकामियाँ ज़माने की तिरी जनाब में जो कामयाब हो न सका तिरी अता के तसद्दुक़ तिरे करम के निसार गुनाहगार था लेकिन अज़ाब हो न सका वुफ़ूर-ए-हुस्न की वो शोख़ियाँ मआ'ज़-अल्लाह शबाब ताबे'-ए-अहद-ए-शबाब हो न सका ख़राब-ए-इश्क़ तिरा हो के सारी दुनिया में किसी का भी दिल-ए-ख़ाना-ख़राब हो न सका उठी न अर्ज़-ए-तमन्ना पे ख़शमगीं हो कर तिरी निगाह का मुझ पर इताब हो न सका हज़ार रंग थे लेकिन था एक ही जल्वा कमाल हुस्न का तेरे जवाब हो न सका दलील-ए-पस्ती औज-ए-फ़लक है ये 'अफ़्क़र' कि ख़ाक-बोस-ए-दर-ए-बू-तुराब हो न सका