शेर क्या जिस में नोक-झोक न हो मुर्ग़ फिर क्या लड़े जो नोक न हो कहीं देखे ही सादा-रू खूँ-ख़्वार चश्मा-ए-आईना में जोक न हो वही कूचा भुला कि जिस में कभू दनदनालों की रोक-टोक न हो नाम गर्दूं पे जिस का है परवीं नेशकर का ये उस के फोक न हो रंडी-बाज़ी वो क्या करे फिर ख़ाक पास जिस के किताब-ए-कोक न हो गल्ला बायद हरीस-ए-शहवत-रा एक बकरी से शाद-बोक न हो पेट का भाड़ है बला न भरे ख़ूब ता इस में झोका-झोक न हो हुस्न मुतरिब है सुन के गाने का पेशा ले जब गले में डोक न हो क्या फंकेती का वो करे दावा 'मुसहफ़ी' याद जिस को रोक न हो