शेर-ओ-सुख़न का ये गुलदस्ता तेरे नाम ख़ून-ए-जिगर का ये नज़राना तेरे नाम मंज़िल मंज़िल धूप की चादर फैली सी यादों का ये ठंडा साया तेरे नाम मौसम-ए-गुल का कैफ़ महकती सब्ज़ फ़ज़ा मेरी बहारों का ये तोहफ़ा तेरे नाम दिल के इक-तारे पर जिस को गाया था वो पुर-सोज़ अधूरा नग़्मा तेरे नाम तेरे साथ जो लम्हे गुज़रे ख़्वाब हुए माज़ी का हर ख़्वाब सुनहरा तेरे नाम दुनिया के पुर-शोर समुंदर में लिख दूँ ख़ामोशी का एक जज़ीरा तेरे नाम लफ़्ज़ों के ज़हराब में डूबी कुछ यादें ये 'तमकीन' का कुल सरमाया तेरे नाम