शिकारी ने रक्खा ठिकाना बुलंद हदफ़ पस्त-क़ामत निशाना बुलंद यहाँ ज़ुल्म की हैं कमंदें दराज़ कहाँ तक करें आशियाना बुलंद तिरे सामने सर-ब-सज्दा हैं लोग मिरा नाम है ग़ाएबाना बुलंद समझ लीजिए तल्ख़ गुज़रा है दिन अगर है नवा-ए-शबाना बुलंद मुझे बोलने की इजाज़त नहीं मिरी ज़ात नीची ज़माना बुलंद बड़ी तेज़ रफ़्तार है उम्र की ख़ुदारा न कर ताज़ियाना बुलंद मिरी चीख़ भी खो गई है 'रज़ा' हुआ हर तरफ़ से तराना बुलंद