शोख़ी-ए-दर्द-ए-दिल-ए-ज़ार गुल-ए-नग़्मा है उस का हर लहजा-ए-गुफ़्तार गुल-ए-नग़्मा है सोई सोई सी ख़लाओं को हम-आग़ोश करो क़ुल्ज़ुम-ए-ज़ख़्म से बेदार गुल-ए-नग़्मा है ख़्वाब-ए-इम्कान-ए-वफ़ा है वो मुजस्सम कोई हम हुए जिस के परस्तार गुल-ए-नग़्मा है चाँदनी की है नई शम्अ' शगुफ़्ता पुर-नूर सर-ता-पा इश्क़ का शहकार गुल-ए-नग़्मा है चाँद सूरज ये सितारे हैं शरारे उस के उस की अंगड़ाई तो अनवार गुल-ए-नग़्मा है शश-जिहात उस के हैं औराक़-ए-ज़िया ओढ़े हुए मुस्कुराता हुआ संसार गुल-ए-नग़्मा है मौज-दर-मौज बदन करता है जादू जैसे हर अदा उस की पुर-असरार गुल-ए-नग़्मा है आइना सी है वो दोशीज़ा मोहब्बत की मिसाल होंट शो'ला है तो रुख़्सार गुल-ए-नग़्मा है रिश्ता-ए-रूह ने बाँधा है हमें किस के 'नदीम' मैं क़लंदर हूँ मिरा यार गुल-ए-नग़्मा है