सिलसिला रौशन तजस्सुस का उधर मेरा भी है ऐ सितारो उस ख़ला में इक सफ़र मेरा भी है चार जानिब खींच दीं उस ने लकीरें आग की मैं कि चिल्लाया बहुत बस्ती में घर मेरा भी है जाने किस का क्या छुपा है उस धुएँ की सफ़ के पार एक लम्हे का उफ़ुक़ उम्मीद भर मेरा भी है राह आसाँ देख कर सब ख़ुश थे फिर मैं ने कहा सोच लीजे एक अंदाज़-ए-नज़र मेरा भी है अब नहीं है उस की खिड़की के तनाज़ुर में भी चाँद एक पुर-असरार मौसम से गुज़र मेरा भी है ये बिसात-ए-आरज़ू है इस को यूँ आसाँ न खेल मुझ से वाबस्ता बहुत कुछ दाव पर मेरा भी है जीने मरने का जुनूँ दिल को हुआ 'बानी' बहुत आसमाँ इक चाहिए मुझ को कि सर मेरा भी है