सीने में तूफ़ान है भाई होंटों पे मुस्कान है भाई अंदर कुछ है बाहर कुछ है ये कैसा इंसान है भाई दिल के अंदर कुफ़्र भरा है हाथों में क़ुरआन है भाई बोल तिरी औक़ात बता दूँ पेश-ए-नज़र दीवान है भाई क़ाबू में दिल आज नहीं है बारिश का इम्कान है भाई कितने आईने तोड़ेगा बे-चेहरा हैरान है भाई एक ग़लत इंसान की ख़ातिर बस्ती में हैजान है भाई मयख़ाने आबाद हैं हर-सू और मस्जिद वीरान है भाई कितनी यादें दफ़्न हैं इस में दिल भी क़ब्रिस्तान है भाई शैतानों को छूट मिली है मुश्किल में इंसान है भाई शम्अ 'ज़मीर' इक भी नहीं रौशन ख़ाना-ए-दिल वीरान है भाई