सीने में साँस आँखों में जब तक के दम रहे बातिल के सामने न मिरा सर ये ख़म रहे मौसम भी दिल-फ़रेब है माहौल भी हसीन लग जा गले कि कुछ तो वफ़ा का भरम रहे किरदार पर न अपने कभी हर्फ़ आ सका दुश्मन की महफ़िलों में भी हम मोहतरम रहे वैसे तो ये जहान फ़सानों का ढेर है लेकिन फ़साने अपने बहुत ही अहम रहे हम ने हर एक मसअला हल कर लिया मगर बाक़ी 'बहार' ज़ुल्फ़ के बस पेच-ओ-ख़म रहे