सितम-ए-दोस्त का गिला क्या है सँभल ऐ दिल तुझे कहा क्या है निगह-ए-नाज़ को न दो तकलीफ़ दिल में अब यास के सिवा क्या है जिस को मरने की भी उमीद न हो उस की हसरत को पूछना क्या है युंही अंजाम बन के फिर पूछो मुझ से तुम मेरा मुद्दआ' क्या है सामने है वो जल्वा-ए-रंगीं ये फ़रेब-ए-नज़र है या क्या है जी उठे अब भी तुम जो आ जाओ वर्ना बीमार में रहा क्या है