सितम के साथ रहना है सज़ा के साथ रहना है वफ़ा बन कर मुझे उस बेवफ़ा के साथ रहना है तबस्सुम-रेज़ रहना है लबों को सी के रखना है जलाने हैं दिये और फिर हवा के साथ रहना है तिरी बेबाक नज़रों ने मुझे ये हौसला बख़्शा मुझे अश्कों में ढल कर भी अदा के साथ रहना है अभी उम्मीद है दिल को वो शायद लौट ही आए अभी कुछ रोज़ सज्दे में दुआ के साथ रहना है मिरी आँखों के सब सपने अगरचे टूट भी जाएँ मुझे तल्क़ीन है इस की सज़ा के साथ रहना है