सितम को जो सितम कहता नहीं है वो अच्छा आदमी अच्छा नहीं है क़बीले में कोई ऐसा नहीं है अदू से जिस का समझौता नहीं है मैं लाशों को सदाएँ दे रहा हूँ कि ज़िंदों में कोई ज़िंदा नहीं है मिरी पोशाक पर पैवंद तो हैं मिरी पोशाक पर धब्बा नहीं है हिलाना हाथ तेरा जाते जाते वो मंज़र आज भी भूला नहीं है सफ़र में आ गई ये कैसी मंज़िल जहाँ आगे कोई रस्ता नहीं है हमारी आह पर बहसें बहुत हैं तुम्हारे जुर्म का चर्चा नहीं है अदा-ए-शैख़-सरहिंदी सलामत किसी बुलफ़ज़्ल से रिश्ता नहीं है सुना है ज़िल्ल-ए-सुब्हानी हैं नाराज़ अभी 'बज़्मी' तो कुछ बोला नहीं है