सितारों का जहाँ है और मैं हूँ ख़याल-ए-आसमाँ है और मैं हूँ न जाने किस तरफ़ ले जाए कश्ती शिकस्ता बादबाँ है और मैं हूँ मिरा अफ़्साना सुन कर क्या करोगे ग़मों की दास्ताँ है और मैं हूँ रिहाइश मसअला बन कर खड़ी है शिकस्ता सा मकाँ है और मैं हूँ क़फ़स की तीलियाँ कहती हैं मुझ से बहार-ए-गुलिस्ताँ है और मैं हूँ अभी महरूमियों के सिलसिले हैं निगाह-ए-बे-ज़बाँ है और मैं हूँ वो महफ़िल में हैं मेरे रू-ब-रू 'ताज' नज़र का इम्तिहाँ है और मैं हूँ