सितारों की दुनिया से बाहर निकल के ज़मीं पर क़दम-दो-क़दम देख चल के बदल जाएगा ज़िंदगी का नज़रिया कभी पेट की आग में देख जल के दुहाई उसूलों की ऐ देने वाले दिखा इन उसूलों पे ख़ुद भी तो चल के ग़रीबों की दुनिया भी देख इक नज़र तू अदीबों की महफ़िल से बाहर निकल के कभी झोंपड़ी देख उस की भी जा कर किए जिस ने ता'मीर गुम्बद महल के मुरव्वत का उन से तक़ाज़ा है कैसा हुए हैं जवाँ जो अँधेरों में पल के ज़माना बदलने की फिर बात करना दिखा इर्द-गिर्द अपना पहले बदल के इसी ख़ाक में तुझ को मिलना है आख़िर 'सदा' पाँव रखना तू इस पर सँभल के