सियाह शब के असर से निकल रहे हो क्या सितारो तुम भी मिरे साथ चल रहे हो क्या वो जा रहा था तो रोका नहीं उसे तुम ने वो जा चुका है तो अब हाथ मल रहे हो क्या बुझी बुझी सी ये बातें धुआँ धुआँ लहजा किसी अज़ाब में अंदर से जल रहे हो क्या तुम्हें तो आज की शब मेरा क़त्ल करना था कहाँ चले हो इरादा बदल रहे हो क्या ये क्या सफ़र है कभी ख़त्म ही नहीं होता 'नबील' सम्त-ए-मुख़ालिफ़ में चल रहे हो क्या