सोच कर हूँ अगर मगर ख़ामोश सब को ख़ामोश देख कर ख़ामोश ऐसे मत चीख़ मेरी हालत पर चारागर है तो ज़ख़्म भर ख़ामोश तब बहुत दूर लगती है मंज़िल जब सफ़र में हो हम-सफ़र ख़ामोश उस की ख़ामोशी तोड़नी है अगर पास जा उस के और ठहर ख़ामोश चीख़ने लग गई है तन्हाई देख कर हम को इस क़दर ख़ामोश तुझ को गूँगी लगेगी ये दुनिया रहने लग जाऊँ मैं अगर ख़ामोश