सोचो ऐसा हुआ तो क्या होगा मैं ही तन्हा हुआ तो क्या होगा प्यार कर लूँ मगर मुझे डर है फिर से धोका हुआ तो क्या होगा मरज़ ये ला-इलाज लगता है मैं न अच्छा हुआ तो क्या होगा लोग करते हैं प्यार जिस्मों से तू भी उन सा हुआ तो क्या होगा टूट कर जो बिखर गया सोचो गर वो शीशा हुआ तो क्या होगा तुम मुझे मनअ' कर तो लोगे पर मैं न मुझ सा हुआ तो क्या होगा सोचता हूँ मैं छोड़ दूँ दुनिया पर न उस का हुआ तो क्या होगा