सोचों ने आरज़ूओं से ज़ेबाई छीन ली लम्हात-ए-इंतिशार ने दानाई छीन ली जब झूट की गिरफ़्त में क़द्रें सिमट गईं महरूमियों ने रूह से सच्चाई छीन ली मशहूर थीं ज़माने में दिल की हरारतें कर्ब-ए-तलब ने सारी तवानाई छीन ली लम्हों में जैसे एक ज़माना गुज़र गया सदियों से जैसे क़ुर्ब बे पहनाई छीन ली दानिस्ता बे-नियाज़ हैं 'सरशार' से जनाब या बेबसी ने 'अक़्ल से बीनाई छीन ली